पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन: एक नजर उनके जीवन पर

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Former Governor Satya Pal Malik passes away, life and legacy remembered.

जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का 5 अगस्त 2025 को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में निधन हो गया। वह 78 साल के थे और काफी समय से बीमार चल रहे थे। उन्हें किडनी की समस्या और इंफेक्शन के कारण ICU में भर्ती किया गया था।

सत्यपाल मलिक का जन्म 1946 में उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के हिसावड़ा गांव में हुआ था। उन्होंने मेरठ कॉलेज से पढ़ाई की और छात्र राजनीति से अपने करियर की शुरुआत की। उनका राजनीति में लंबा अनुभव रहा। वे पहले भारतीय क्रांति दल, फिर कांग्रेस, जनता दल और बाद में भाजपा का हिस्सा रहे।

वह राज्यसभा और लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं। उन्हें बिहार, जम्मू-कश्मीर और मेघालय जैसे राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। अगस्त 2019 में उनके कार्यकाल के दौरान जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया था।

अपने बयानों की वजह से वह कई बार चर्चा और विवादों में भी रहे। खासकर पुलवामा हमले और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर उन्होंने सरकार की खुलकर आलोचना की थी।

उनके निधन से देश ने एक अनुभवी और बेबाक नेता को खो दिया है।

सत्यपाल मलिक का निधन: कब और कैसे हुआ?

सत्यपाल मलिक का निधन 5 अगस्त 2025, मंगलवार को दोपहर लगभग 1:10 से 1:12 बजे के बीच दिल्ली स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल (RML Hospital) में हुआ। निधन के समय उनकी उम्र 79 वर्ष थी। वे मई 2025 के दूसरे सप्ताह, यानी 11 मई को अस्पताल में भर्ती कराए गए थे। शुरुआत में उन्हें मूत्र मार्ग संक्रमण (UTI) और छाती में संक्रमण (निमोनिया) की शिकायत थी, लेकिन इलाज के दौरान उनकी हालत लगातार बिगड़ती गई।

संक्रमण के कारण उन्हें सेप्टिक शॉक हुआ, जिसके चलते मल्टी-ऑर्गन फेल्योर, एक्यूट किडनी इंजरी (किडनी फेल्योर), और डीआईसी (रक्त का थक्का जमने की गंभीर स्थिति) जैसी जटिलताएं सामने आईं। साथ ही उन्हें मोटापा, उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) और ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया जैसी पुरानी स्वास्थ्य समस्याएं भी थीं, जिसने इलाज को और कठिन बना दिया।इलाज के दौरान उन्हें ICU में वेंटिलेटर और जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया था।

उन्हें कई प्रकार की एंटीबायोटिक्स दी गईं और डायलिसिस (CRRT) किया गया। संक्रामक रोग विशेषज्ञों की निगरानी में लगातार प्रयास किए गए, लेकिन उनकी स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हो सका। अंततः 5 अगस्त की दोपहर अस्पताल प्रशासन ने उनके निधन की आधिकारिक पुष्टि की।

स्वास्थ्य से जुड़ी समयरेखा के अनुसार, 11 मई 2025 को वे अस्पताल में भर्ती हुए, मई से जुलाई तक उनकी हालत गंभीर बनी रही और ICU में इलाज चलता रहा। अंततः 5 अगस्त 2025 को उन्होंने अंतिम सांस ली।

देशभर में शोक

  • उनके निधन की खबर आधिकारिक X (Twitter) हैंडल से साझा की गई
  • प्रधानमंत्री, विपक्षी नेताओं और अन्य प्रमुख हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी
  • यह खबर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के निधन के ठीक एक दिन बाद आई

कौन थे सत्यपाल मलिक?

सत्यपाल मलिक एक अनुभवी और बेबाक राजनेता थे, जिनका जन्म 24 जुलाई 1946 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में हुआ था। उन्होंने मेरठ कॉलेज से विज्ञान (B.Sc) और कानून (LLB) की पढ़ाई की। राजनीति में उनकी शुरुआत 1968-69 में मेरठ कॉलेज के छात्र नेता के रूप में हुई। 1974 में वे पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के विधायक बने और उसके बाद राज्यसभा और लोकसभा सांसद भी रहे। अपने लंबे राजनीतिक सफर में उन्होंने जनता दल, कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जैसी प्रमुख पार्टियों में काम किया।

राज्यपाल के रूप में उनका कार्यकाल भी उल्लेखनीय रहा। अगस्त 2017 में उन्हें बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया। एक वर्ष बाद, अगस्त 2018 में वे जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल बने, और उन्हीं के कार्यकाल में 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाया गया, जो भारत के राजनीतिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण क्षण था। इसके बाद वे गोवा (अक्टूबर 2019) और फिर मेघालय (अगस्त 2020 से अक्टूबर 2022 तक) के राज्यपाल भी रहे।

सत्यपाल मलिक हमेशा अपने स्पष्ट विचारों और निडर बयानों के लिए जाने जाते थे। वे सरकार की नीतियों की खुलकर आलोचना करने से नहीं कतराते थे, चाहे वह पुलवामा हमले में सुरक्षा चूक हो या भ्रष्टाचार जैसे संवेदनशील मुद्दे। भाजपा से लंबे समय तक जुड़े रहने के बावजूद, बाद में वे पार्टी के प्रखर आलोचक बन गए। किसानों के मुद्दों पर वे हमेशा मुखर रहे और चौधरी चरण सिंह को अपना राजनीतिक आदर्श मानते थे।

लंबी बीमारी के बाद 5 अगस्त 2025 को दिल्ली के डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में उनका निधन हो गया। वे कई हफ्तों से गंभीर रूप से बीमार थे और ICU में जीवन रक्षक प्रणाली पर रखे गए थे। सत्यपाल मलिक का जीवन भारतीय राजनीति में एक साहसी और स्पष्टवादी व्यक्तित्व का प्रतीक रहा, जिनकी याद हमेशा बनी रहेगी।

Satya Pal Malik, ex-Governor of Jammu and Kashmir, no more.

 

अनुच्छेद 370 और जम्मू-कश्मीर

सत्यपाल मलिक जम्मू-कश्मीर के अंतिम पूर्ण राज्यपाल थे, जब यह एक राज्य था। 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए अनुच्छेद 370 को हटा दिया, जिससे जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का जो दर्जा मिला था, वह समाप्त हो गया। इस अहम फैसले के समय सत्यपाल मलिक वहां के राज्यपाल थे और उन पर शांति व्यवस्था बनाए रखने तथा प्रशासन को संभालने की बड़ी जिम्मेदारी थी। उसी दौरान जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू-कश्मीर और लद्दाख – में विभाजित कर दिया गया।

सत्यपाल मलिक ने खुद कहा था कि उन्होंने राज्य में किसी भी बड़े विरोध प्रदर्शन को नहीं होने दिया और हालात को नियंत्रित रखने में अहम भूमिका निभाई। उनका मानना था कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद की स्थिति को संभालना उनके जीवन की सबसे बड़ी प्रशासनिक चुनौती रही। हालांकि, इसके बाद उन्होंने पुलवामा हमले में सुरक्षा चूक जैसे संवेदनशील मुद्दों पर बयान दिए, जिनसे राजनीतिक और सामाजिक हलकों में कई विवाद भी खड़े हुए। उनकी भूमिका और बयानों ने उन्हें एक बेबाक और विवादास्पद प्रशासक के रूप में चर्चित बना दिया।

सत्यपाल मलिक के प्रमुख विवाद और आलोचनाएं

सत्यपाल मलिक को उनके बेबाक बोलने की आदत के लिए जाना जाता था। उन्होंने कई बार सरकार और सिस्टम की गलतियों को खुलकर बताया। पुलवामा हमले के बारे में उन्होंने कहा कि यह एक बड़ी सुरक्षा चूक थी, क्योंकि सुरक्षाबलों ने विमान से सफर करने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने नहीं माना। इससे उन्हें काफी आलोचना झेलनी पड़ी। उन्होंने एक प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार का भी आरोप लगाया और कहा कि उन पर एक केंद्रीय मंत्री ने दबाव बनाया था।

इसके अलावा, मलिक ने किसान आंदोलन के समय सरकार की नीतियों का खुलकर विरोध किया और किसानों का साथ दिया। इसी वजह से वे धीरे-धीरे भाजपा के आलोचक बन गए। जब वे राज्यपाल थे, तब भी उन्होंने कई बार ऐसे बयान दिए जिनसे विवाद खड़े हुए। वे अक्सर अपनी बात खुलकर कहते थे, चाहे वह किसी भी पार्टी के खिलाफ क्यों न हो। यही वजह है कि सत्यपाल मलिक का नाम हमेशा सुर्खियों में बना रहा।

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