आकलन वर्ष 2025-26 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की डेडलाइन तेजी से नजदीक आ रही है और जिन लोगों ने अभी तक अपना रिटर्न नहीं भरा है, उन्हें जल्द से जल्द इसे पूरा करना चाहिए। गैर-ऑडिट टैक्सपेयर्स के लिए समय सीमा 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दी गई है, लेकिन इस तारीख के बाद रिटर्न दाखिल करने पर Section 234F के तहत विलंब शुल्क और ब्याज लागू होगा।
जिनकी वार्षिक आय 5 लाख रुपये तक है, उन्हें अधिकतम 1,000 रुपये का जुर्माना देना होगा, जबकि इससे अधिक आय वाले टैक्सपेयर्स पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगेगा। इसके अलावा, बकाया टैक्स पर मासिक 1% ब्याज भी लागू होता है। ऑडिट आवश्यक व्यवसाय और पेशेवरों के लिए अलग डेडलाइन है, जिनके पास 31 अक्टूबर 2025 तक और ट्रांसफर प्राइसिंग ऑडिट वाले मामलों के लिए 30 नवंबर 2025 तक का समय है।
कर विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि आखिरी दिन का इंतजार न करें क्योंकि पोर्टल धीमा हो सकता है और विलंब शुल्क के साथ रिफंड प्रक्रिया में भी देरी हो सकती है। समय पर ITR फाइल करना न केवल जुर्माने से बचाता है, बल्कि रिफंड की प्रक्रिया को भी तेज़ करता है, जिससे टैक्सपेयर्स वित्तीय योजनाओं और निवेश निर्णय आसानी से कर सकते हैं।
इसके अलावा, फाइलिंग से पहले वार्षिक सूचना विवरण (AIS), फॉर्म 26AS, पूंजीगत लाभ और विदेशी आय का मिलान करना और बैंक खाते की जानकारी सत्यापित करना जरूरी है। जल्दी और सही तरीके से ITR दाखिल करने से टैक्सपेयर्स सुरक्षित रहते हैं और भविष्य में किसी कानूनी या वित्तीय परेशानियों से बच सकते हैं।
ITR 2025-26: कौन फाइल करे और समय पर फाइलिंग क्यों जरूरी है |
ITR 2025-26 फाइल करना हर योग्य टैक्सपेयर के लिए जरूरी है। समय पर रिटर्न दाखिल न करने पर Section 234F के तहत जुर्माना और ब्याज लग सकता है। गैर-ऑडिट मामलों के लिए अंतिम तारीख 15 सितंबर 2025 है।
इसमें सैलरीभोगी, फ्रीलांसर, छोटे व्यवसायी, पेशेवर और विदेशी आय वाले निवासी शामिल हैं। वहीं, ऑडिट आवश्यक व्यवसाय और पेशेवरों के लिए डेडलाइन 31 अक्टूबर 2025 है, और ट्रांसफर प्राइसिंग ऑडिट वाले मामलों के लिए 30 नवंबर 2025 तक का समय है।
समय पर ITR फाइल करने से न केवल जुर्माने से बचा जा सकता है, बल्कि रिफंड भी जल्दी मिलता है और भविष्य में कानूनी या वित्तीय परेशानियों से बचाव होता है। कर विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि आखिरी दिन का इंतजार न करें, क्योंकि पोर्टल स्लो हो सकता है और तकनीकी दिक्कतें आ सकती हैं।
सही तरीके से ITR दाखिल करने से टैक्सपेयर्स अपनी वित्तीय योजना, निवेश और रिफंड प्रक्रिया आसानी से मैनेज कर सकते हैं।
ऑडिट और ट्रांसफर प्राइसिंग मामलों के लिए ITR डेडलाइन
ऑडिट वाले व्यवसाय और पेशेवरों के लिए ITR फाइल करने की डेडलाइन अलग है। इन टैक्सपेयर्स के पास रिटर्न दाखिल करने के लिए 31 अक्टूबर 2025 तक का समय है। इससे उन्हें ऑडिट से जुड़ी सभी प्रक्रियाओं को पूरा करने और सही जानकारी दाखिल करने में मदद मिलती है।
वहीं, ट्रांसफर प्राइसिंग ऑडिट वाले मामलों के लिए अंतिम तारीख 30 नवंबर 2025 है। इसमें वे फर्म और पार्टनर्स शामिल हैं, जिन्हें Form 3CEB के तहत ट्रांसफर प्राइसिंग रिपोर्ट दाखिल करनी होती है। यह ऑडिट अंतरराष्ट्रीय लेनदेन या कुछ विशेष घरेलू लेनदेन पर लागू होता है।
कर विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि आखिरी दिन का इंतजार न करें। पोर्टल धीमा हो सकता है और तकनीकी समस्याओं के कारण फाइलिंग में देरी हो सकती है। समय पर ITR फाइल करने से न केवल विलंब शुल्क और ब्याज से बचा जा सकता है, बल्कि रिफंड भी जल्दी मिलता है। सही तरीके से और समय पर फाइलिंग करना टैक्सपेयर्स की वित्तीय योजना और व्यवसाय संचालन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
ITR 2025-26: Section 234F के तहत जुर्माना और ब्याज
अगर आप समय पर ITR 2025-26 फाइल नहीं करते हैं, तो Section 234F के तहत विलंब शुल्क और ब्याज लागू होता है। यह नियम सभी टैक्सपेयर्स पर लागू होता है, चाहे टैक्स बकाया हो या नहीं। गैर-ऑडिट मामलों में, आय 5 लाख रुपये तक होने पर विलंब शुल्क ₹1,000 और आय 5 लाख रुपये से अधिक होने पर ₹5,000 है। इसके अलावा, बकाया टैक्स पर हर महीने 1% ब्याज भी लगाया जाता है।
ऑडिट आवश्यक व्यवसाय और पेशेवरों पर भी Section 234F लागू होता है, लेकिन उनके पास फाइलिंग के लिए अतिरिक्त समय होता है। कर विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि आखिरी दिन का इंतजार न करें, क्योंकि पोर्टल स्लो हो सकता है और तकनीकी समस्याओं की वजह से विलंब शुल्क और ब्याज बचाना मुश्किल हो सकता है।
समय पर ITR फाइल करने से टैक्सपेयर्स जुर्माने से बचते हैं, रिफंड जल्दी मिलता है और भविष्य में किसी कानूनी या वित्तीय परेशानी से भी बचाव होता है। इसलिए Section 234F की जानकारी समझकर समय पर रिटर्न दाखिल करना बहुत जरूरी है।
ITR 2025-26: फाइलिंग में आम गलतियाँ और उनसे बचने के तरीके
फाइलिंग के दौरान कई टैक्सपेयर्स आम गलतियाँ कर देते हैं, जो बाद में जुर्माना या सुधार की जरूरत पैदा कर सकती हैं। सबसे आम गलती है अपनी आय और वेतन विवरण का सही मिलान न करना। फॉर्म 26AS और वार्षिक सूचना विवरण (AIS) में गलत जानकारी होने पर रिटर्न गलत माना जा सकता है।
इसके अलावा, पूंजीगत लाभ जैसे स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड, संपत्ति या सोने से होने वाले लाभ को सही ढंग से रिपोर्ट न करना भी सामान्य चूक है। विदेशी आय या संपत्ति का खुलासा न करना, कटौतियों और छूट का गलत दावा करना और बैंक विवरण गलत भरना भी अक्सर देखने को मिलता है।
ऑडिट या ट्रांसफर प्राइसिंग मामलों की जानकारी सही ढंग से न देना भी गलतियों में शामिल है। आखिरी दिन फाइलिंग करना जोखिम भरा होता है, क्योंकि पोर्टल धीमा हो सकता है और तकनीकी समस्याओं के कारण विलंब शुल्क लग सकता है। इन गलतियों से बचने के लिए समय पर रिटर्न दाखिल करें, सभी विवरणों की दोबारा जांच करें और जरूरी दस्तावेज सही ढंग से संलग्न करें।
सही और समय पर फाइलिंग से न केवल जुर्माने और ब्याज से बचा जा सकता है, बल्कि रिफंड प्रक्रिया भी तेज़ होती है और भविष्य में वित्तीय परेशानियों से बचाव होता है।
ITR फाइलिंग से पहले चेक करने वाली महत्वपूर्ण चीजें :
- फॉर्म 26AS और AIS में सभी आय की जांच
- वेतन, पेंशन और अन्य आय की सही जानकारी
- पूंजीगत लाभ (स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड, संपत्ति, सोना) की सही रिपोर्ट
- विदेशी आय या संपत्ति का खुलासा
- कटौतियों और छूट की सही जाँच
- बैंक अकाउंट विवरण सही और अपडेटेड होना
- ऑडिट और ट्रांसफर प्राइसिंग मामलों की जानकारी सही ढंग से शामिल करना
ITR 2025-26: फाइल करने के फायदे और समय पर फाइलिंग क्यों जरूरी है :
- विलंब शुल्क और ब्याज से बचाव – समय पर फाइल करने से Section 234F के तहत जुर्माना नहीं लगता।
- रिफंड जल्दी प्राप्त करना – टैक्स अधिक जमा होने पर रिफंड जल्दी मिलता है।
- कानूनी सुरक्षा – समय पर रिटर्न फाइल करने से भविष्य में कोई कानूनी परेशानी नहीं होती।
- क्रेडिट हिस्ट्री में सुधार – रिटर्न फाइल करने से वित्तीय रिकॉर्ड साफ और मजबूत रहता है।
- लोन और वीज़ा प्रक्रियाओं में सहूलियत – बैंक और अन्य संस्थान रिटर्न को इनकम प्रूफ मानते हैं।
- आसान वित्तीय योजना – सही और समय पर रिटर्न दाखिल करने से बजट और निवेश योजना आसान होती है।
- टैक्स ऑडिट में मदद – समय पर और सही जानकारी देने से ऑडिट आसान हो जाता है।
ITR फाइलिंग में देरी से बचें: विशेषज्ञों की टिप्स
रिटर्न समय पर दाखिल करना बेहद जरूरी है। कर विशेषज्ञों का कहना है कि अंतिम समय तक इंतजार न करें, क्योंकि पोर्टल पर लोड बढ़ने या तकनीकी दिक्कतों की वजह से फाइलिंग में देरी हो सकती है। समय रहते फाइलिंग करने से विलंब शुल्क और ब्याज से बचा जा सकता है, और रिफंड भी जल्दी प्राप्त होता है।
सभी जरूरी दस्तावेज और विवरण पहले से तैयार रखें, जैसे फॉर्म 26AS, वेतन विवरण, पूंजीगत लाभ, कटौतियाँ और बैंक अकाउंट जानकारी। इससे रिटर्न सही तरीके से फाइल होगा और गलती सुधारने का समय भी मिलेगा।
छोटे टैक्सपेयर्स और सैलरीभोगियों के लिए यह और भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे रिफंड जल्दी मिल सकता है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि सारी जानकारी एक जगह इकट्ठा करें और समय रहते रिटर्न दाखिल करें।
यह न केवल तनाव कम करता है बल्कि भविष्य में किसी कानूनी या वित्तीय परेशानी से बचने में भी मदद करता है।
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